Menu
blogid : 9545 postid : 1326984

गली से गलियारे तक के जननेता ‘नरेंद्र मोदी ‘

V2...Value and Vision
V2...Value and Vision
  • 259 Posts
  • 3039 Comments

एक बार किसी ने मुझसे पूछा ,” एक पत्नी होने के नाते आप अपने पति के कार्यस्थल के नेतृत्व का आकलन कैसे कर पाएंगी ?”
मेरा सीधा सा जवाब था ,” घर से कार्यस्थल के लिए निकलने के वक़्त जो मुस्कान उनके चेहरे पर सजी होती है उसी मुस्कान के साथ कार्यस्थल से घर वापिस आ जाते हैं तो मैं समझ जाती हूँ कि वे एक सकारात्मक सुलझे और मानवीय गुणों से युक्त नेता के साथ काम कर रहे हैं .”
मित्रों , एक देश या संस्थान वर्णमाला की तरह संगठित होता है .हिंदी वर्णमाला के स्वर और व्यंजन एक दूसरे के बगैर बेमानी हैं .यह ज़रूर है कि कुछ स्वर स्वतंत्र रूप से शब्द बनाने की अत्यंत सीमित क्षमता रखते हैं जैसे आ एक स्वतंत्र शब्द बन जाता है .अंग्रेज़ी में भी ए और आई स्वतंत्र रूप से एक एक शब्द बना लेते हैं .परन्तु शेष नए नए शब्दों के लिए उन्हें शेष वर्णों का साथ चाहिए होता है .इसी बात को नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी ने बखूबी समझा है.ए और आई की तरह नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी को शेष लोगों की तुलना में अपनी शक्ति का अंदाज़ा तो है पर वे यह भी जानते हैं की टीम संगठित कैसे रखा जाए ताकि वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण का यथोचित यथानुसार सम्मान और उपयोगिता रह सके .
दरअसल नेतृत्व के गुर किसी सेमीनार के वक्तव्य या किसी बेस्ट सेलर बुक में लिखी इबारत में खोजना एक भुलावा ही है. यह व्यक्ति विशेष के संस्कार परवरिश परिवेश और समय के साथ इन सब के परिष्करण का मूर्त रूप है .एक ऐसी सोच जो गली के दर्द से लेकर गलियारे के गर्व तक को ना केवल छूती है बल्कि आत्मसात कर लेती है .बस यही बात मोदी जी को विशिष्ट नेता बना देती है .गली के आम जन से लेकर देश विदेश के गलियारों के रहनुमाओं तक को उनके शब्द एक सशक्त सन्देश देते हैं .हाँ जिन्होंने अनुशाषित मूल्य परक जीवन को ना जिया हो ना ही पढ़ा हो वह मोदी जी जैसी जीवन शैली पर यकीन नहीं कर पाता .क्योंकि उसका विश्वास शून्य जैसे लोगों में होता है जो बाह्य तौर पर तो बिलकुल गोल पूर्ण दिखते हैं परन्तु आतंरिक रूप में उनमें मूल्य नहीं ठीक शून्य की तरह . पार्टी की जीत को वोटिंग मशीन की तकनीक समस्या बताना उनके अनोखे व्यक्तित्व के प्रति सार्वजनिक अस्वीकृति के अतिरिक्त और कुछ नहीं.
नेतृत्व सिर्फ व्यक्ति विशेष से , कुछ बंधे बँधाये नियमों से सम्बंधित बात नहीं बल्कि सही दिशा में वक्त की मांग के अनुसार परिवर्तन को अंगीकार कर स्वयं के साथ साथ टीम संस्थान राष्ट्र का परिष्कृत विकास होता है.वह अपने और अपनी टीम के ऊपर किये गए प्रत्येक प्रहार को परिष्करण की दिशा में एक नया कदम मान कर चलता है.वह तय करता है कि जनता उसके विज़न को सिर्फ देख कर उसकी तारीफों में वक़्त जाया ना करे बल्कि उसे जीए .वह लीक से हटकर साहसिक निर्णय लेने का जिगर भी रखता है.स्वयं में एक उदाहरण एक पूरा संस्थान होता है.मोदी जी ने देश के बच्चों युवाओं बुजुर्गों को आत्मसम्मान देश के प्रति गौरव के भाव से जीना सीखा दिया.एक पुरानी कहावत है कि मछली सर से सड़ना शुरू होती है.मोदी जी ने इस समस्या से निबटने के लिए शीर्ष अधिकारियों के काम काज करने के तरीके को सुधारने की दिशा में काम किया.’ना खाऊंगा ना खाने दूंगा ‘ जब देश के सबसे शीर्ष नेता ईमानदार हैं तो फर्क तो पड़ता है.इन पौने तीन वर्षों में देश में जिस सकारात्मकता का माहौल बना है उसमें राजनीति का कुछ हद तक पारदर्शी होना भी एक ठोस वजह है. सभी नेता मूल्य परक नहीं हो पाते क्योंकि मूल्यों की राजनीति को आत्मसात करना सबके वश की बात नहीं होती .
भाजपा कि जीत जीत और जीत ने यह साबित कर दिया है कि धरती अच्छे लोगों के क़द्र के संस्कार को भूली नहीं है.अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply