Menu
blogid : 9545 postid : 928694

ज़िंदगी और कुछ नहीं

V2...Value and Vision
V2...Value and Vision
  • 259 Posts
  • 3039 Comments

प्रिय ब्लॉगर साथियों
यमुना का प्यार भरा नमस्कार
आज सिविल सर्विसेज परीक्षा का परिणाम सुनकर बहुत प्रसन्नता हो रही है .सर्वोच्च स्थान में आने वाली चार बेटियां फख्र से सर ऊंचा करने को प्रेरित करती हैं.१९ वर्षीय इरा सिंघल का सामान्य वर्ग से सबसे टॉप पर होना और भी द्विगुणित खुशी देता है .आज जब थोड़ी सी असफलता से घबरा कर कुछ विद्यार्थी आत्मघाती कदम उठा लेते हैं वहीं इरा अपनी अशक्तता के बावजूद अव्वल आ कर आज सभी विद्यार्थियों के लिए मिसाल बन गई हैं. आज अभिभावकों को हर हाल में अपने बच्चों के साथ खड़ा होना और उन्हें प्रेरणा देना बहुत ज़रूरी है.सच है ज़िंदगी बस अनुशासन का ही दूसरा नाम है.

१) बेटियां

किताब के पन्नों के बीच
गुलाब की पंखुरियों सी
दबी,छुपी,सूखती थी बेटियां
आज………….
आवरण पृष्ठ पर
सजे फूलों के मानिंद
खुशी बन झलक रही हैं .
………………..
घर के किसी एक
छुपे से कोने में बैठ
चादर काढती थीं बेटियां
आज……………
प्रगति के पूरे कैनवास को
ख़ूबसूरत इंद्रधनुषी रंगों की
जीवंतता से भर रही हैं.

२) मौलिकता

हर बच्चे का वज़ूद
होता है मौलिक
ध्वनि की तरह
ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बना
अपने अपने सपनों के
हर वयस्क सुनना चाहता है उसे
एक प्रतिध्वनि की तरह
जिसमें गूँज तो होगी
पर मौलिकता नहीं .

३)ज़िंदगी और कुछ नहीं

ज़िंदगी और कुछ नहीं
साँसों की सजगता का ही
दूसरा नाम है
पीछे उठने वाले कदम को भी
हो ऐसी सजगता कि
थामने का सामर्थ्य हो
जो डगमगाए अगले कदम कभी .
…..
ज़िंदगी और कुछ नहीं
सूर्य से अनुशासन का ही
दूसरा नाम है
गर्व से उदित कर्तव्यनोन्मुख हो
रोशनी बाँट वक़्त से हो जाता अस्त
खिड़की कितनी कितने दरवाज़े खुले
दिए अर्क किसने किसने काव्य रचे
गिनने में समय व्यर्थ न किया कभी
……
ज़िंदगी और कुछ नहीं
मानसिक सम्पन्नता का ही
दूसरा नाम है
स्वयं को जानना समझना
अनुभवों के सार निचोड़ना
स्वस्तित्व के मायने तलाशना
संवेदनाओं से सामंजस्य बिठाना
गल्प,कथा,कहानियों में लेना
वास्तविकता के अर्थ भी
……………..

ज़िंदगी और कुछ नहीं
सहजता से बहने का ही
दूसरा नाम है
तेज हो धार कहाँ
हो कहाँ मंथर गति
चट्टानों के बीच से ही
क्यों ना बहना पड़े कभी
चाहे पड़ें राहें बदलनी
रोष तनिक न हो कभी
…..
ज़िंदगी और कुछ नहीं
प्यार सी सरलता का ही
दूसरा नाम है
कोई किसी को प्रेमवश भी
है बदलता नहीं कभी
प्रेम माध्यम बन जाता
होती पहचान अंतर्शक्ति की
खिल जाती छवि पंखुरी सी .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply