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आचार्य बहुश्रुत के पास कई शिष्य रहते थे.उनमें से तीन शिष्यों के विदाई का जब अवसर आया तब आचार्य ने कहा ,”कल प्रातःकाल मेरे निवास पर आ जाना अंतिम परीक्षा लेकर तुम्हे घर जाने की अनुमति दूंगा..”आचार्य ने रात्रि में कुटिया के मार्ग में कांटे बिखेर दिए .अगली सुबह नियत समय पर तीनों शिष्य परीक्षा देने कुटिया की ओर चल पड़े.मार्ग में कांटे बिछे थे .गुरू के पास पहुँचना ज़रूरी था .पहले शिष्य को मार्ग में कांटे चुभते रहे फिर भी वह किसी तरह कुटिया तक पहुँच ही गया.दूसरा शिष्य काँटों से बच कर निकला उसे कांटे चुभे पर शान्ति से उसे निकाला और कुटिया तक पहुँच गया.तीसरे शिष्य ने जब कांटे देखे तो एक झाड़ू लाया .बड़े बड़े काँटों की डाली को घसीट कर दूर फेंक आया ताकि वे किसी को ना चुभें और झाड़ू से जगह को बुहार दिया .फिर हाथ मुंह धोकर कुटिया पहुँच गया.गुरू जी ने तीसरे शिष्य को घर जाने की अनुमति दे दी और प्रथम और दूसरे शिष्य को यह कह कर रोक लिया कि उनकी शिक्षा सिर्फ सैद्धांतिक है और उन्होंने ज्ञान को व्यवहार में शामिल नहीं किया है.
घर में फल सब्जी के छिलके खाद बनाने के काम आ सकते हैं .हमारे बुजुर्ग महिलाएं फटे पुराने कपड़ों से थैला सिलना,खिलौने बनाना जानती थीं तब चाइना के खिलौने कोई जानता ही नहीं था .ज़रुरत उस सजगता को पुनर्जीवित करने की भी है .सबसे अहम बात यह कि स्वच्छता एक आदत है जो बचपन से ही बच्चों में विकसित की जाती है.छोटे से छोटे कचरे को भी तुरंत डस्टबिन में डाल देना ,राह में चलते हुए अगर फलों के छिलके या प्लास्टिक या कोई भी कचरा दिखे उसे सड़क के पार लगे डस्ट बिन में फेंक देना ..यह आदत तो बच्चों में घर से ही माता पिता और विद्यालय में शिक्षक विकसित कर देते हैं.यह आदत बड़े होने पर और भी दृढ और परिष्कृत होनी चाहिए पर छोटा बच्चा जो चॉक्लेट के रैपर को कचरे के डिब्बे में फेंकने का आदी था वही बड़े होने पर गुटका खा कर रैपर सड़क पर फेंक देता है ,पान खा कर दीवार ,सड़क को कैनवास समझ उसे विभिन्न आकृति से विकृत कर स्वयं को एक अदद चित्रकार मान शान से चला जाता है पर वह दीवार कितनी भद्दी दिखती है उसे इस बात का भान ही नहीं हो पाता है.
हम सबने यह देखा होगा कि एक कुत्ता किसी स्थान पर बैठने के पहले अपनी पूंछ से उसे साफ़ करता है फिर गर्व से उस स्थान पर बैठता है.क्योंकि उसने उस जगह को पहले से बेहतर और अपने रहने योग्य बनाया है.जब B.ed. की ट्रैनिंग ले रही थी तो एक बात बार बार समझाई जाती थी कि कक्षा छोड़ने के पहले ब्लैक बोर्ड को साफ़ कर के जाना है ताकि अगली पीरियड के शिक्षक को ब्लैक बोर्ड साफ़ सुथरा मिले.यह एक अच्छी आदत विकसित हो गई थी.किसी भी स्थान को साफ़ सुथरा रखना और उसे और बेहतर बनाना हमारी आदत में शुमार होना चाहिए .
स्वच्छता अभियान के लिए कुछ स्लोगन्स लिख रही हूँ…….
1)
घर और कार्यालय को स्वच्छ रख
श्रमजनित उपहारों का मान बढ़ाएं
विद्यालय,रूग्णालय देवालय को भी
स्वच्छ स्थान का सम्मान दिलाएं .
2)
स्वास्थय,सुरक्षा,स्वच्छता,साक्षरता
‘स’ वर्ण से बने चार मज़बूत स्तम्भ
कर लें जीवन आधारित इन पर जब
सर्वोत्तम जीवन का हो जाए आरम्भ
3)
लेकर स्वच्छता स्वास्थय का मन्त्र
सुव्यवस्थित हो अब समाज का तंत्र
4)
चलो हम सब मिलजुल कर यह कर्त्तव्य निभाएं
अच्छे को बेहतर और बेहतर को सर्वोत्तम बनाएं
5)
भारत माता की यही पुकार
स्वच्छ रहना मेरा अधिकार
6)
संस्कार स्वच्छता के हों गहरे जितने
तेजस्वी और दर्पयुक्त हों चेहरे उतने
7)
एक छोटी सी ही रोशनी
घने अँधेरे को चीरती है
एक कदम ही क्रान्ति बन
जन जन को जोड़ती है
चलें…प्रत्येक कदम…स्वच्छता की ओर.
8)
जब से स्वच्छता की लहर है आई
आलस्य बीमारी की हुई है विदाई
9)
स्वच्छता जब आदत बन जाए
स्वास्थय हमारी ताकत बन जाय
10)
हटाएं गन्दगी की काली घटा
बिखेरें सफाई की वासंती छटा
11)
स्वच्छता का आगाज़;हम सब की आवाज़ .
12)
गन्दगी हटाओ रोको बीमारी की मार
हैं रामबाण से ये चार आर ( R)
Remove,Recycle,Reuse,Renew
करें इनसे कूड़े कचरे का उपचार .
13)
अगर है दिल में उन्नति की चाह
तो आओ बढ़ चलें स्वच्छता की राह
14)
सच होगा स्वस्थ तन का सपना
गढ़ोगे जब स्वच्छता का गहना
15)
स्वच्छता से चमके जब हर कोना
बीमारी का ना रहे कभी फिर रोना .
16)
सूर्य स्वच्छता का चमकता रहे
भारत का हर कोना दमकता रहे
17)
हो व्यवहारिक व उद्देश्यपरक यह स्वच्छता अभियान
बन जाए स्वस्थ भविष्य जब हो स्वच्छ वर्त्तमान
18)
यह ज़िंदगी है ईश्वर की नेमत
स्वच्छता से ही सुन्दर सेहत
19)
अपनी आदतों पर हम सब को नाज़ हो
अपना देश भी स्वच्छ सुन्दर साफ़ हो
20)
ना होती जब कहीं कोई अगर-मगर
आसान बन जाती स्वच्छता की डगर
बढे …..प्रत्येक कदम …..स्वच्छता की ओर……………………..
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