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मेरे प्रिय ब्लॉगर साथियों
वसंत पंचमी की बहुत सारी शुभकामना
दुनिया की प्रत्येक वस्तु , परिस्थिति ,की तरह वसंत के आगमन के भी अपने मायने हैं…जितने लोग ….उतनी व्याख्या ….यह सच है कि वसंत सर्वप्रिय मौसम है ….पर इसके आगमन का अर्थ …इसका स्वागत ….इसकी स्वीकृति ….बहुत कुछ व्यक्ति विशेष के हालात,मनस्थिति,परिस्थिति और सबसे ज्यादा उसके वक़्त पर निर्भर करती है…
गर पूछो क्या मायने वसंत के
सरसों की पीताभा लिए
सूरजमुखी सी आशा लिए
अमूमन हर चेहरा जाता है खिल
शीत के कपाट खोल जाता है मिल
कह उठता …आता ही नहीं
ले भी आया जाता है वसंत .
पूछा एक माँ की ममता से
मायने क्या हैं वसंत के ??
अपने बच्चे को निहार वह
कह उठी यही है वसंत .
पूछा एक प्रेयसी से ..
क्या तुमने भी देखा वसंत ???
कपोल की रक्ताभा समेटे
लब हँसे ..कहा..‘वह रहा वसंत’
पूछा एक कर्मयोगी से
कब आता है वसंत ???
हाथों के खुरदरेपन की छुअन में,
हिना के रंग सा दिखा वसंत .
पूछा एक किसान से
वसंत का होता कैसा रूप रंग???
सरसों की वासंती रंगत देख
फ़ैली हुई धानी चूनर ओढ
कहा,ये मैंने पा लिया वसंत .
पूछा एक सैनिक से
कहाँ छुपा है तुम्हारा वसंत ??
गर्व से वह बोल उठा ..
भारत माँ का लाल हूँ
रक्त की लालिमा में ही छुपा मेरा वसंत .
पूछा एक आम इंसान से
क्या होती हर वर्ष मुलाक़ात वसंत से ???
थोड़ा हंस, थोड़ा रो ,थोड़ा चल ,थोड़ा ठिठक
थोड़ा रूमानी,थोड़ा रूहानी हो
गहन चिंतन से उबर कर बोला …
………………….
वसंत सिर्फ मौसम नहीं
वसंत एक सोच भी है
ह्रदय में बसे वसंत में
एक अजीब लोच भी है
जब पूछता कोई यह
हैं क्या मायने वसंत के
वसंत की ही मर्ज़ी यह
कैसे खुद की अभिव्यक्ति दे !!!!
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