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साब!कुछ पैसे दे दो…..

V2...Value and Vision
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बस यहीं हम बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं और बच्चे की पीड़ा और मुसीबत को अनजाने में ही और बढ़ा देते हैं.ऐसा कर हम उस गिरोह के अपराध को और भी मज़बूती देते हैं जो कि बाल अपहरण और तस्करी से सम्बन्ध रख कर बाल भिक्षावृत्ति को अंजाम देता है .beggarडेल्ही पुलिस ने एक योजना बनाने की सोची है जिसके तहत ऐसे बच्चे जो भिखारिनों के गोद में या भिखारियों के साथ होते हैं उनका डीएनए टेस्ट कर यह पता किया जाए कि वे उनके असली बच्चे हैं या नहीं.एक नागरिक के द्वारा पीएमओ ऑफिस में मेल लिखने के बाद यह विचार किया गया है.प्रधान मंत्री जी ने यह मेल पुलिस कमिश्नर B  S Bassi  को भेजा.अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे की शक्ल भिखारिन से नहीं मिलती है.यह सच भी है  कि भिखारिन औरतें जो बच्चों को गोद में ली रहते हैं वह उन्हें किराए पर माफिआ देते हैं .कभी कभी वे बच्चे के लिए दूध देने की भीख मांगती हैं ,कभी कभी दूध बेचने वाला भी इन से मिला होता है यह नशे मिला दूध देता है जिसे पीकर बच्चा बेसुध गोद में पड़ा रहता है और उसकी दयनीय दशा आम आदमी कि संवेदना बढ़ाने में कामयाब हो जाती है. हालांकि इस योजना में एक पेंच यह है कि किसी व्यक्ति विशेष के सहमति के बिना डीएनए टेस्ट करना व्यक्तिगत निजता का उल्लघन होगा .दूसरी अहम बात कि किसी को भी संदेह होने पर भी यूँ ही रोक कर कर टेस्ट करने का कोई औचित्य नहीं माना जा सकेगा .एक NGO के ऑफिसर का कहना है कि वह स्त्री दावा कर सकती है कि यह किसी असहाय का बच्चा है या फिर किसी साथी भिखारिन का जिसकी मृत्यु हो गई है और पुलिस के पास इस बात का शायद ही कोई काट्य हो पाये.फिर भी बाल भिक्षावृत्ति को रोकने बाल अधिकार की रक्षा करने की दिशा में इस पहल की अल्प भूमिका अवश्य ही हो सकती है.भारत ही नहीं विश्व के कई अन्य देश जैसे बोलविया ,फ़िलीपीन्स,बांग्लादेश सेनेगल पाकिस्तान,ऑस्ट्रिया के बच्चे भी इस मुसीबत से गुजर रहे हैं.US state dept रिपोर्ट के अनुसार शेज़वान चीन में एक व्यक्ति $ 40,000 एक वर्ष में बालभिक्षवृत्ति के द्वारा कमा लेता है वहीं भारत में एक बस स्टॉप पर हर महीने एक अपाहिज बाल भिखारी के द्वारा 5000 तक आसानी से कमा लिया जाता है.ऐसे बाल भिखारियों पर नज़र रखने के लिए बूढ़े भिखारी भिखारिन या गैंग का कोई आदमी आस पास ही होता है.भारत देश में लगभग 60,000 बच्चे लापता हो जाते हैं.उन्हें ऐसे गिरोह बेबस अपाहिज और दयनीय बना देते हैं .आँखें निकाल लेना,अंग काट देना,एसिड से चेहरे को जला देना,नशे अफीम के डोज़ देकर उनकी पहचान उनके ज़ेहन से हटा देना ,साथ ही गैंग मास्टर उन पर आसानी से नियंत्रण रख सके इसके लिए चरस अफीम का आदी बना देना और शारीरिक मानसिक रूप से इतना कमज़ोर कर देना कि वे भाग ना पाएं ,अपने परिजन को देख कर भी ना पहचान पाएं ….ऐसे गिरोहों का घृणित अपराध होता है.slumdog millionair मूवी में इस सच्चाई को बहुत प्रभावकारी ढंग से फिल्माया गया था . सन 2006 में एक समाचार चैनल ने एक डॉक्टर को दिखाया था जिसने इस कुकृत्य से जुड़े माफिया के कहने पर $ २०० में एक स्वस्थ बच्चे के अंग काटने को अंजाम दिया था.ऐसे भिखारी बच्चों को भिखारिनों के गोद में ,किसी भिखारी के साथ या फिर अकेले ही देखा जा सकता है .इन बच्चों को विशेष तरह के लोगों की तरफ भिक्षा माँगने भेजा जाता है जैसे पर्यटक ,स्त्रियां,अमीर और विशेष स्थानों पर जैसे रेलवे स्टेशन,बस स्टॉप,ट्रैफिक सिग्नल ,पर्यटक स्थान ,मंदिर मस्जिद के सामने भेजा जाता है क्योंकि धार्मिक स्थलों पर नेकी करने का भाव हमें इन्हे पैसे देने को प्रेरित करता है.पर्यटक चूँकि घूमने के साथ साथ अच्छे मूड में होते हैं कुछ अच्छा नेक काम करने की सोच से चंद सिक्के इनकी कटोरी में डाल कर अपने अच्छे मनुष्य होने के भाव से तृप्त हो जाते हैं.ट्रैफिक सिग्नल पर हर व्यक्ति जल्दी में होता है वह कुछ सिक्के डाल कर इस मुसीबत से निजात पाना चाहता है .यह भी सही है कि अगर ऐसे बच्चे पैसे नहीं ले जा पाते तो इन्हे बुरी तरह प्रताड़ित भी किया जाता है.अक्सर ऐसा होता है कि अगर आप इन भिखारी से दिखते बच्चों को भोजन फल देने की कोशिश करो तो वे इंकार करते हैं .यही पहचान है कि वे किसी माफिआ के द्वारा सताए बच्चे हैं.उन माओं पर क्या गुजरती होगी जो बड़े लाड प्यार से बच्चे को पालती हैं और दुर्भाग्यवश बच्चा ऐसे किसी ऐसे गिरोह के चंगुल में फंस जाता है .जो बच्चों से भिक्षावृत्ति और वैश्यावृत्ति करवाते हैं .यह भी सही है कि कुछ बच्चे गरीब परिवार के होते हैं जिनके अभिभावकों को पैसे का लोभ दिखाकर बच्चे खरीद लिए जाते हैं,कुछ बच्चे स्वयं ही गरीबी या पिता के नशे की आदत माता पिता के घरेलू झगड़ों से परेशान हो घर छोड़ कर भाग जाते हैं पर नियति उन्हें इस मकाम पर लाकर और भी बुरी दशा में जीने को मज़बूर कर देती है ..कभी -कभी ऐसा भी होता है कि ऐसे बच्चे बचा लिए जाते हैं किसी अनाथालय या बाल गृह में भेजे जाते हैं पर माफियाओं का समूह पुनः उनका अपहरण या उनकी तस्करी कर देता है .कुछ बच्चे तो इतना डरे सहमे रहते हैं कि उनकी अपंगता का कारण पूछने पर वे अपनी व्यथा बताने से डरते हैं और इसे किसी दुर्घटना का परिणाम बताते हैं .फिर भी अगर ऐसे बच्चों को हम बचाना चाहें तो कुछ कदम ज़रूरी हैं…1) हमारा मन बाल भिखारियों को देख कर कितना भी द्रवित हो उन्हें चिल्लर चंद सिक्के देना बंद करें .ऐसा कर हम एक छोटे हद तक ही सही पर इस बाल भिक्षावृत्ति को रोक सकते हैं.2)बाल भिखारी को चिल्लर देने के बजाये ऐसे सरकारी या निजी NGO जो हॉस्टल चलाते हैं या फिर बचाये ऐसे बच्चों की स्वास्थय शिक्षा भरण पोषण का इंतज़ाम करते हैं उन्हें दान दिया जाए.चार जनवरी को प्रकाशित दैनिक जागरण अख़बार में अंजना राजगोपालन के विषय में पढ़ा जो सड़क पर भीख माँगते बच्चों को देख कर दुखी हो जाती थीं .रजत नाम के अनाथ लडके को बचा कर किराए के घर में जगह देने की जो शुरुआत उन्होंने की आज ४०० के संख्या के करीब अनाथ बच्चों को सही जीवन दे रही हैं. 3) ऐसे विश्वस्त NGO जो इस तरह के बच्चों को बचाने का काम करते हैं उनके द्वारा ऐसे बच्चों की मदद कर सकते हैं.4) पूरे भारत वर्ष में चाइल्ड हेल्प लाइन २४ घंट खुली जिसका नंबर है 1098 साइट है …(http://childlineindia.org.in) 5) सरकार के द्वारा बने क़ानून सख्ती से पालन किये जाएं… Anti Child labour and child protection act Juvenile justice (care and protection of children)act 2006 sec 24 and human trafficking act Right of children to free and compulsory education act 2009 The child labour (prohibition and regulation ) act 1996.हम आप अपने बच्चे के प्रति भी सजग हों .भूल कर भी बच्चे से सम्बंधित कोई updates सोशल साइट्स पर ना डालें फेसबुक पर तस्वीर ना शेयर करें या फिर प्राइवेसी सिक्योरिटी का ध्यान रख कर ही ऐसा करें बच्चे नुमाइश की वस्तु नहीं हैं उनकी निजता के अधिकार की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है .च्चे किसी के भी हों उनके बचपन की रक्षा और सम्मान करना प्रत्येक जागरूक और संवेदनशील इंसान का कर्त्तव्य है.चार संकलित पंक्तियाँ लिख रही हूँ…..

एक रात गाती है ऊंचे प्रासादों में
एक रात सोती है गंदे फुटपाथों में
रात वही होती है हर बात वही होती है
रंग बदल कर केवल जीवन को धोती है.

(जानकारी नेट से साभार )

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