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लौट आऊंगा….. (कारगिल दिवस २६ जुलाई)

V2...Value and Vision
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एक बार टैक्सी वालों की हड़ताल चल रही थी ,वह था तो एक कंपनी का अधिकारी पर टैक्सी की कमी की वज़ह से उसे एक और यात्री के साथ टैक्सी शेयर करनी पडी .उसने अपने काम की व्यस्तता के आदत स्वरुप टैक्सी की सीट पर बैठते ही कुछ देर में लैपटॉप पर उँगलियाँ फिरानी शुरू कर दी.व्यक्ति उसे ध्यान से देख रहा था फिर उसने पूछा ,”सर ,आप तो किसी बड़ी कंपनी के अधिकारी लगते हो.आपके ऊपर तो बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी तभी तो आप लोगों को इतनी सुविधाएं मिलती हैं.”

अधिकारी ने उस व्यक्ति की तरफ देखा और ज़वाब दिया ,”लोगों को लगता है कि हम ए सी में बैठते हैं, हवाई जहाज में सफर करते हैं तो हमें बहुत आराम मिलता है.लोग समझते हैं कि हम मेहनत नहीं करते .मैं पूछता हूँ कि क्या सिर्फ पसीना बहाना ही मेहनत है ?दिमागी मेहनत कुछ भी नहीं ?आप जानते हैं हम पर कितना दबाव रहता है ? वह अधिकारी अपनी मुश्किलें गिनाये जा रहा था …हमें तय समय सीमा के भीतर काम पूरा करके दिखाना होता है,कोई प्रोजेक्ट पूरा करते या प्रेजेंटेशन बनाते हमें आधी रात हो जाती है ,हम पर कितना प्रेशर होता है . सच पूछा जाए तो हम “लाइन ऑफ़ फायर ” पर काम करते हैं क्या आपको पता है लाइन ऑफ़ फायर पर काम करना कितना मुश्किल होता है ?”

अधिकारी के अनुमान के विपरीत उस व्यक्ति ने ज़वाब दिया ,”हाँ , मैं जानता हूँ कि लाइन ऑफ़ फायर का अनुभव कैसा होता है .मैं कारगिल युद्ध में लड़ चुका हूँ और उसके बाद भी कश्मीर में तैनात हूँ .मुझे पता है कि कभी भी धमाका हो सकता है और कहीं से भी एक गोली आकर सर या दिल को भेद सकती है ऐसे माहौल में भी तनाव और दबाव के बावजूद सौ प्रतिशत सचेत रहते हुए काम कैसे किया जाता है मैं अच्छी तरह जानता हूँ …….मैं जानता हूँ कि जब यह भी पता ना हो कि मिशन कब पूरा होना है,ऐसे में भी दो-दो दिन तीन-तीन दिन तक मिशन पर कैसे डटा रहा जाता है.

अब उस अधिकारी को यह एहसास हुआ कि जिसे वह कुछ भी समझ नहीं रहा था ; जिसे वह ‘लाइन ऑफ़ फायर’ का अर्थ समझा रहा था वह तो असली कर्मवीर है .असली हीरो-देश का सैनिक .अब वह उसके प्रति सम्मान से भर गया .एक जगह अधिकारी ने टैक्सी रुकवा कर जूस के दो गिलास मंगवाए .एक उस सैनिक की और बढ़ा कर कहा,”लीजिये .”सैनिक ने पूछा ,”इसकी क्या ज़रुरत है ?”अधिकारी ने कहा ,” आप हमारी रक्षा करते हैं ,तो क्या हम आप के लिए इतना भी नहीं कर सकते ?”सैनिक ने ज़वाब दिया “वह मेरा कर्त्तव्य है और उसके लिए मुझे वेतन मिलता है.” और वह अपने पैसे चूका कर चला गया.

सच है सैनिक अपनी जान जोखिम में डालते हैं देश के खातिर .उनकी व्यथा उनके दर्द को बयान करती कुछ पंक्तियाँ लिख रही हूँ…..

क्षीण होते जा रहे हैं हर पल ….

सिमट रहा हूँ मैं लम्हों में …..

धुंधली होती जा रही है…………….

आँखों में बसी मिलन की छाया……….

माँ,बाबा,अनुज,लाडो बहन,………..

प्रियतमा,मासूम पूत,लाडली बिटिया की……..

तस्वीर सहेजती आँखें………..

अब बस ….मूंदने ही वाली हैं …………

ओह !!!!!!!!!!!

पूरे करने हैं फ़र्ज़ …………….

सबसे जुड़े होने का ………..

ओ खुदा !!!! या रब !!!!!मेरे प्रभु !!!!

दे दे चंद सांसें उधार में………………

आ जाऊं मिलकर एक बार……………

ले लूँ चरणों की धूल माँ के………….

दे आऊँ थोड़ी दिलासा बाबा को………….

समझा आऊँ सारी जिम्मेदारी अनुज को………..

बंधवा लूँ एक राखी तो लाडो से………….

सजवा तो दूँ डोली उसकी…………

आगोश में भर अपनी प्रियतमा को…………..

जी भर कर लूँ प्यार तो……………

ले लूँ काँधे पे अपने पूत को………….

झूला लूँ बाहों में अपनी लाडली बिटिया को…………….

ओ सखी !!!मेरी सहचरी !!!!

प्यारी मौत……………

डर नहीं मुझे सीने के आर पार जाती…………

बेज़ुबान करती इन गोलियों से……………..

चिंगारी छोड़ते इन तमंचों से………….

आग उगलते तोपों के गोलों से……………….

डरता हूँ ?????????????

ना हो जाए एकांगी……………….

कर्त्तव्य मेरा……………..

ना हो जाए महरूम कहीं…………..

वो गुलज़ार आशियाँ मेरा…………

बेफिक्री और हंसी ठिठोलों से…………..

प्यारी टिकठी……

तेरे हर बांस की कसम है…………….

वादा है मेरा……………

पूरा कर फ़र्ज़ इन सब के लिए………..

वापस लौट आऊंगा…………….

अदा कर फ़र्ज़ मातृभूमि और माँ का………..

रख सर तेरी गोद में पूर्ण विश्रांति ले…………..

खामोश हो सो जाऊँगा…………..

जानता हूँ मैं ……..

तृप्ति मेरी छुपी है अपने सम्पूर्ण कर्तव्य निर्वाह में ………..

 

(कहानी – संकलित ; कविता – स्वरचित )

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