- 259 Posts
- 3039 Comments
१)
लूटेरी से पगली
एक ज़लज़ला
.आया ..और चला गया
लाशें बिछ गईं
लाशों की राह से गुज़रते
कुछ तलाशती
निराश हताश होती
वह औरत……
बंद कर दी गई
सलाखों के पीछे
साबित किया गया
लूटेरी है वह.
चुराती थी
बेज़ुबान ,बेकीमती
लाशों की
बेशकीमती चीज़ें .
नहीं कबूला उसने
उन जौहरियों के सामने
कि ……………..
तलाश थी उसे
सबसे बेशकीमती
कोहिनूर की
जो होती है बस
माँ के पास.
हर लाश के गले को
टटोलती
पाना चाहती थी
वह ताबीज़…
हर अला-बला से बचाने
अपने लाल को
पहना दी थी उसने.
उन अधजली लाशों में
कौन सा होगा
उसका अपना चेहरा
इसी तलाश में
उसने था टटोला
बस यही ना कबूला
सहा अत्याचार इतना
कि अब वह माँ नहीं
लूटेरी और फिर ……
लूटेरी से पगली बन गई है.
२)
लाल निशाँ
खतरों के आस-पास
लगा दिए जाते हैं
लाल निशाँ .
पर
कैसा विरोधाभास है !!!!!!!!!
वर्षों से खतरा साबित होते
पुरुषों की बजाय
स्त्रियों के लिए
निर्धारित कर दिए जाते हैं
यही ….
लाल निशाँ (सिन्दूर).
Read Comments