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विंड चाइम्स (कांटेस्ट)

V2...Value and Vision
V2...Value and Vision
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“कविता तब शुरू होती है जब एक पाठक ही नहीं कवि भी विचार करने लगे कि सचमुच यह कविता है भी ??

वेरा पावलोवा की उपरोक्त पंक्ति से इत्तिफाक रखती हूँ मैं ….. मुझे नहीं मालूम कि यह रचना कविता है भी कि नहीं ???

सर्दी की इन छुट्टियों में जब बिटिया घर आई तो उसने मुझे आत्म मंथन का एक मौका दिया….वह ऐसा क्या कह गई जो उसके जाने के बाद भी विंड चाइम्स की मधुर आवाज़ बन मुझे झंकृत कर रहा है….साथ ही आगाह भी कि हमारे बच्चे तो हमें समझ जाते हैं पर हम अपने बच्चों को कितना समझ पाते हैं…..

छोटी सी बिटिया
बड़ी हो गई है
जाना कल ही तो मैंने
जब….
हंसते हुए वह
पास आकर बोली
माँ !!!!
सच बताओ
तुम्हे यह एक शब्द
क्यों है प्रिय इतना
देख मेरी प्रश्नसूचक भंगिमा
बोली वह….
‘कैनवास’
तुम्हारे अधिकाँश ब्लॉग में
समाया है यह शब्द ऐसे
कि….
मेरा बचपन समाता था
तेरे आँचल में जैसे

हाँ….
क्योंकि जीवन एक कैनवास ही है
और हम हैं
रंगों के चयनकर्ता
फेंकते हैं
बिखेरते हैं
चुनींदा रंग
कलाकृति कैसी बनेगी
करता है तय
ऊपर बैठा वह…
नीली छतरी वाला
एक ही सांस में
मैंने कह डाला.
वह कुछ समझी
कुछ ना समझी.
पर …..
उसने समझ लिया था माँ को
क्या मैं माँ
समझ सकी थी बिटिया को ??

सशंकित
पूछा मैंने,
क्या है तुम्हारा प्रिय शब्द ?
‘विंड चाइम्स ‘
किसी पवित्र मंदिर की घंटी सी
खनकती आवाज़ में
कहा था उसने

कारण पूछने से पूर्व ही
बोल उठी वह
माँ…..
मेरी मालिश करते वक्त
तेरे हाथों में खनकती थी
जो रंग-बिरंगी कांच की चूड़ियाँ
मुझ रोती को चुप कराते
बजते थे तेरे हाथों से
जो झुनझुने
थाली चम्मच के
सुर ताल बीच
आहिस्ता से उभरती
वह मिश्री सी आवाज़
जो देती थी सुकून मुझे
झूलते पालने में
लोरियों में थिरकती
वो ममता भरी आवाज़
मेरे हलके से ज्वर में
तेरी सिसकियों की
वह बेचैन सी धुन
और….
मेरे डगमगाते
नन्हे कोमल पैरों में
छम-छम करते
तेरे पहनाए वे नूपुर

पांचवे जन्म दिवस पर पापा की दी
छोटी साइकिल की ट्रिन-ट्रिन
मेरे दसवें वर्ष पर दी थी जो नाना ने
उस बड़ी साईकिल की घंटी
और वो प्यारी सी …
घड़ी की टिक-टिक
खरीदी थी जो तूने
मेरे पिग्गी बैंक के
बचाई रकम से ….
………………….

समा जाते हैं सब
हॉस्टल के मेरे कमरे के
एक दरवाज़े के मध्य …..
लटकते विंड चाइम्स में
तेरी यादों के
स्निग्ध मलय से प्राणवान

बहुत कर्णप्रिय लगती है
टुनटुनाहट
उन विंड चाइम्स की
वे सारी धुनें
बंध जाती हैं
एक ही शब्द में , माँ
मेरे जीवन के शब्दकोष का
सबसे प्यारा सा शब्द है
विंड चाइम्स

और तब …
मुझ जैसी
बेखबर माँ ने
महसूस किया….
सामने दूर तक फैले
असीम कैन वास पर
उभर आये हैं
रंग-बिरंगे …
टुनटुनाते…
तन-मन को
खनकाते…..
हजारों…लाखों…करोड़ों . …
नहीं….नहीं …
अनगिनत से
‘विंड चाइम्स’.

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