- 259 Posts
- 3039 Comments
सूर्य कुछ यूँ ढलने लगा कि……
मेरे विचारों में सिमटने लगा….
बहुत कम ही देखी है मैंने
पेंटिंग्स………………
उगते हुए सूर्य की
जबकि चाहिए बस
सिंदूरी रंग ही तो
सूर्योदय या सूर्यास्त को
कैनवास पर समेटने के लिए .
सोचती हूँ……..
एक चित्रकार
क्यों उकेरता है चित्र
अक्सर डूबते हुए सूर्य की ही ?????
शायद इसलिए कि ……..
उगते सूर्य से तो है प्रभावित
हर फूल…हर कली
सम्मान पाता है वह
हर पथ…हर गली.
पर डूबता सूर्य
प्राणवान हो जाता है
चित्रकार की कल्पना से
क्योंकि……..
कला संकेत है
जीवन के यथार्थ का भी
चित्रकार की तूलिका से
सूर्यास्त बन जाता है
एक प्रतीक……………
संघर्ष से उबरने का
निशा में सिमटने का
जीवन के संतुलन को
गहनता से समझने का
थकी-हारी ज़िंदगी में भी
जोशे-जूनून उलीचने का
अस्ताचलगामी सूर्य
एक एहसास है……..
जीवन के शान्ति का
विपरीत पक्ष की कान्ति का
एकांत से
शोषित होने का नहीं
बल्कि एकांत से
पोषित होने का.
सूर्यास्त ना हो तो
आखिर कैसे समझे कोई !!!!!!!!!
अर्थ गहरी खामोशी का
स्वप्न ढलती चांदनी का
ताप सांध्य ज्योति का
सुवास रात रानी का
पश्चिम गामी सूर्य
दे जाता है अवसर………….
तारों को उगने का
इस सन्देश के साथ
कि……….ज़रूरी है….
आतंरिक विस्फोट
चमकने के लिए
ज़रूरी है विश्रांति
फिर कल चहकने के लिए
और सूर्यास्त
अत्यंत ज़रूरी है
सूर्योदय को
बेहतर और परिपक्वता से
समझने के लिए.
Read Comments