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लाइक,कमेंट,शेयर….हैप्पी न्यू ईयर .(अटल संकल्प ब्लॉग आमंत्रण)

V2...Value and Vision
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प्रिय ब्लॉगर साथियों
नए वर्ष की बहुत सारी मंगलमयी शुभकामना

एक शायर की जुबां में…
साल बदला नज़ारे वही हैं,बदनसीबी के मारे वही हैं

सिर्फ बदले हैं अपने कैलेण्डर,चाँद सूरज सितारे वही हैं.

एक महिला को एक जादुई लैंप मिला,उसे हाथ लगाते ही सामने एक जिन्न प्रकट हुआ..और .तीन इच्छाएं पूछी.महिला ने कहा,”मैं चाहती हूँ कि मेरा पति सिर्फ मुझे ही देखे…मैं उनकी ज़िंदगी में अपने तरह की इकलौती अमानत रहूँ…सवेरे उठते ही जिस पर उनकी पहली नज़र पड़े वह मैं ही होऊं.जिन्न ने उस महिला को स्मार्ट फोन बना दिया.

सच है आज आप कहीं भी हों पूजास्थल,समारोह,मैय्यत हर जगह आप का स्मार्ट फोन और उस पर फेस बुक ,व्हॉट्स ऐप जैसी सुविधाएं प्रत्येक इंसान की संगिनी हुई जा रही हैं. फेस बुक पर तीन क्लीक लाइक,कमेंट,शेयर…..ध्यान से देखा जाए तो ज़िंदगी में इन तीनों का अत्यंत महत्व है.अगर ये तीनों ही ज़िंदगी से नदारद हो जाए तो पहले से ही उदास चेहरों में बहुत सारी शिकायतें लिए भटकने वाले लोग पूरी धरती को उदास कर दें.एक पुजारी भाव-भंगिमा पर उपदेश दे रहे थे.उन्होंने कहा,”जब आप स्वर्ग की बात करते हैं तो आप के चेहरे पर चमक होती है ;जब आप करूणा की बात करते हैं तो आँखें सजल दीखती हैं;जब आप दान की बात करते हैं तो देने की संतुष्टि आपको आभा मय बना देती है.एक भक्त ने पूछा,”जब नरक की बात करते हैं तो क्या होता है?”पुजारी ने कहा,”वह आपका रोज का सामान्य चेहरा है.”सच है दोस्तों ,रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जब हम दूसरों की छोटी छोटी अच्छी बातों को पसंद(like) करना…उन पर अपनी स्वस्थ प्रतिक्रिया (comment)देना और उसे अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाने लगते हैं तो ज़िंदगी बहुत खूबसूरत हो जाती है

बस यही संकल्प लिया है मैंने …..दूसरों की अच्छी बातों को पसंद कर उस पर स्वस्थ प्रतिक्रिया दूंगी और उसे जन मानस की भलाई के लिए

शेयर कर दूंगी.

(trio of like,comment,share)

इसके लिए मैं कई उदाहरण से अपनी योजनाएं तैयार करूंगी.

१) कहीं पर पढ़ी एक बहुत प्यारी सी घटना याद आ रही है …

एक सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका ने एक दिन कक्षा में विद्यार्थियों को अपने friends के नाम लिखने के साथ उसकी जो बात उन्हें अच्छी लगती है उसे कागज़ पर लिखने को कहा.सप्ताहांत में उस शिक्षिका ने सभी विद्यार्थियों के नाम पर अलग-अलग लिस्ट बनाई और उन पर दूसरे बच्चों द्वारा उनके बारे में कही बातों को लिख कर मौलिक कागज़ सम्बंधित दोस्तों को दे दिया.बच्चे आपस में यह जानकार बहुत खुश हुए कि उनके कुछ सहपाठी जिन्हे वे करीब नहीं समझते थे वे उन्हें चाहते हैं.यह समूह ज़िंदगी के कई वर्षों के बहाव में आगे बढ़ गया.वर्षों बाद उनमें से एक छात्र युद्ध में शहीद हो गया इत्तफाकन उसकी यह टीचर उसके अंतिम यात्रा में पहुँची …एक सैनिक ने परिचय पूछा और बताया,”संजय आपकी बहुत बातें करता था .”तभी संजय के पिता ने अपनी ज़ेब से एक पर्स निकाल कर उसमें से पीले पड़े एक कागज़ दिखा कर कहा,”यह कागज़ अंतिम समय संजय के पास था.यह सुन्दर काम करने का आप को बहुत-बहुत शुक्रिया ” वहाँ संजय के कुछ सहपाठी भी थे उनमें से एक ने कहा,”उस दिन दिया हुआ कागज़ मेरी डेस्क पर आज भी रखा है.”एक महिला ने कहा,”मेरे पति ने ऐसा कागज़ अपने शादी की अल्बम में लगा रखा है.”एक ने आंसू पोछते हुए कहा,”मुझे लगता है कि हम सब के पास अपनी-अपनी लिस्ट सुरक्षित है.”
(संकलित )
यह दोस्तों की बात को लाइक करना था …. बात बहुत छोटी थी पर कितनी गहरी थी.

मैं ऐसे ही छोटी-छोटी बातों से लोगों को करीब और मधुर रिश्तों के लिए तैयार करूंगी.

२) एक और दृष्टांत देती हूँ.

एक बार एक वृद्ध व्यक्ति 19th शताब्दी के प्रसिद्ध कवि और कलाकार दांते गैब्रियल रोसिटी के पास कुछ स्केच और कलाकृतियां दिखाने गया,रोसिटी ने उन्हें ध्यान से देखा और उदार भाव से कहा कि इन तस्वीरों में योग्यता नज़र नहीं आती .अब दुखी वृद्ध व्यक्ति ने कुछ ऐसी कलाकृति दिखाई जो एक विद्यार्थी ने बनाई थी.रोसिटी उन स्केच को देखा कर झूम गया और कहा ,”इन्हे बनाने वाले विद्यार्थी में बहुत प्रतिभा है.एक कलाकार के रूप में उसे प्रोत्साहन और सहायता की ज़रुरत है अगर वह इसी में करियर बनाये तो उसका भविष्य सुरक्षित है… क्या वह विद्यार्थी तुम्हारा पुत्र है ?”उस वृद्ध ने दुखी हो कर कहा,”यह मेरी ही कलाकृतियां हैं…आज से ४० वर्ष पूर्व की हैं.काश यह पसंदगी (लाइक) और तारीफ़ मैंने पहले सुनी होती ,दरअसल किसी की तारीफ़ और पसंद के अभाव में हतोत्साहित होकर मैंने सालों पहले यह काम छोड़ दिया था पहले की दिखाई कलाकृति की अयोग्यता उसी का परिणाम है.”

मैं अपने घर-परिवार समाज में सभी को अच्छे कार्य करने पर यथोचित प्रोत्साहन दूंगी.

३) एक अन्य उदाहरण 19th सदी की शुरुआत में लन्डन का एक युवक लेखक बनाना चाहता था पर वह सिर्फ चार साल स्कूल गया था ;पिता क़र्ज़ ना चुकाने के कारण जेल में थे और वह चूहों से भरे एक वेयरहाउस में बोतल पर लेबल लगाने का काम करता था.फिर भी कहानी पर कहानी लिखता गया,एक दिन उसकी एक कहानी स्वीकार कर ली गई..हालांकि बदले में पैसा ना मिला पर सम्पादक ने उसकी तारीफ़ की ….सम्मान दिया .वह इतना रोमांचित हुआ कि सडकों पर बौराया घूमता रहा..इस पसंद ( like )और तारीफ़ ने उसकी ज़िंदगी बदल दी अगर यह ना हुआ होता तो वह ज़िंदगी भर बोतल में लेबल लगाने का काम करता उस युवक का नाम था-चार्ल्स डिकेंस.मनोवैज्ञानिक जेस लायर एक जगह लिखते हैं,“प्रसंशा मनुष्य के ह्रदय के लिए सूर्य के सुखद प्रकाश की तरह है.इसके बिना हमारे व्यक्तित्व का पुष्प नहीं खिल सकता.”

सच है “जिस इंसान के काम को जितना ज्यादा पसंद किया जाता है वह उतना ही परिपूर्ण इंसान बन जाता है.”
-(-नार्मन विंस्टन पील)

मैं अपने साथी ब्लोग्गेर्स के विचारों को यथोचित सम्मान दूंगी.

४) अब दूसरी बात कमेंट की आती है..यह भी जीवन में ज़रूरी है.अपने सहयोगियों या विरोधियों की प्रतिक्रिया का निष्पक्षता से विश्लेषण किया जाए तो हमें बहुत सी हितकारी बातें हाथ लग सकती हैं.झेन फ़कीर ने प्रतिक्रिया का बखूबी प्रयोग किया है-जब कोई शिष्य उनसे दीक्षित होता तो गुरु कहते _जाओ,हमें पा लिया,अब कुछ दिन हमारे विरोधी के पास रहो,हमारा दूसरा पक्ष वहाँ नज़र आयेगा,लेकिन जाना निष्पक्ष होकर.इस बात की पूरी सम्भावना रहेगी कि विरोधी कुछ मामलों में सही रहेंगे.हमारा और विरोधी का पक्ष मिलकर एक तीसरा पक्ष बन जाए जो और भी श्रेष्ठ हो सकता है.” तो यह है कमेंट का प्रभाव.एक बात और अगर प्रतिक्रिया स्वरुप कुछ सच भी कहना हो तो सुनने में प्रीतिकर हो यह ध्यान रखना ज़रूरी है.एक शिक्षिका की कहानी याद आती है जो एक छात्र के परिवार की तस्वीर के विषय में प्रतिक्रिया सुन रही थी उनकी सहकर्मी ने कहा कि इस तस्वीर वाले बच्चे के बालों का रंग परिवार के अन्य सदस्यों से अलग है और उस बच्चे को बुलाकर पूछा क्या तुम्हे गोद लिया गया है.? उस बच्चे को इस बात का अर्थ नहीं पता था.पहली शिक्षिका ने समझ लिया बच्चे पर प्रश्न के रूप में यह प्रतिक्रिया गहरा असर डालेगी अतः बीच में बोलते हुए कहा,”क्या तुम माँ के पेट में पालने की बजाय उनके दिल से पैदा हुए हो.?बच्चे ने कहा ,”हाँ”और उसकी आखें खुशी से छलछला गईं..
(संकलित)

मैं अपने प्रति किसी की प्रतिक्रिया का आकलन कर तदानुसार अपने स्वभाव में सुधार करूंगी…..साथ ही दूसरों के प्रति राय बनाने में शब्दानुशासन पर ध्यान दूंगी.

५) अब बात करती हूँ शेयर करने की.कुछ लोग अपने मन की बात या अच्छी बात को लोगों तक पहुंचाने को बेमानी मानते हैं.अगर कोई उनसे अपने कष्ट भी शेयर करे तो अतिव्यस्तता का बहाना कर देते हैं यह भूल जाते हैं कि लोग उन्हें महत्वपूर्ण मान कर अपनी बात कहना चाह रहे हैं.रोटरी क्लब के लंच में शहर के दो डॉक्टर एक बुजुर्ग जो कई वर्ष पूर्व रिटायर हो गए थे और दूसरा शहर का सबसे लोकप्रिय युवा डॉक्टर था.बेहद व्यस्त दीखता युवा डॉक्टर देर से आया और कहा,”काश मेरा फोन बजाना बंद हो जाए.बुजुर्ग ने सुना और कहा,”आज से २० वर्ष पहले मैं भी यही सोचता था ,पर तुम ईश्वर को धन्यवाद दो कि तुम्हारा फोन बज रहा है…इस बात पर खुश हो कि लोग तुम्हे चाहते हैं उन्हें तुम्हारी ज़रुरत है.फिर वह बुजुर्ग डॉक्टर निराश हो कर बोले,”अब मेरे पास कोई फोन कॉल नहीं आते,किसी को मेरी ज़रुरत नहीं मैं गुजरा वक्त हो गया हूँ.”
(-नार्मन विंस्टन पील)

मैं अपने दोस्तों,परिवार के सदस्यों को आवश्यकता पड़ने पर मदद के लिए तैयार रहूंगी… उनके फोन कॉल्स की उपेक्षा नहीं करूंगी.

जीवन अत्यंत छोटा है….साल के बदलते कैलेण्डर की तरह .मैं स्वयं के साथ सभी को जीवन का हर लम्हा जीने के ज़ज्बे से

भर देने का संकल्प लेती हूँ .”

…..किसी शायर की पंक्तियों में……..

रोशनी की ज़ीनत थी घर में जिस कैलेण्डर से

एक साल ही रहकर वो भी उतर गया……

प्राचीन काल में श्रुति या सुनकर ही विद्या आगे एक से दूसरे तक पहुँचती थी फिर आज संकोच क्यों ???

हाँ, एक संवेदनशील नागरिक होने के नाते मेरा कर्त्तव्य बनता है कि किसी भी प्रकार के नकारात्मक और समाज के लिए अहितकारी विचार

को रिजेक्ट कर उसका प्रसार रोकने की जिम्मेदारी भी समझ सकूँ.



लाइक,कमेंट,शेयर की ऐसी शुद्ध ,निर्बाध त्रिवेणी बहाऊँ कि……

अबकी बरस नारी चीत्कार नहीं गूंजे खुशियों भरी चूड़ी की खनक

नारी अस्मिता ना हो तार-तार,रहे बची लाज भरी सिंदूरी चमक

दुःख ना हो इतना दर्दीला कि किसी भी बात पर जाए नयन छलक

लोभ,लिप्सा वासना की चाह नहीं हो ससम्मान जीवन जीने की ललक

पौरूष ऐसा दिव्य हो जाए कि ना छुपे,छुपाये उससे कोई भीगी पलक

करूंगी सारे अधूरे वादे पूरे कि फिर ना रह जाए कहीं कोई दिली कसक

हर स्थान बनाऊं इतना सुवासित कि हो गुलाब की हर पंखुरी सी महक

हर शख्श को करूँ आनंदित कि जैसे चमन में परिंदों के खुशी की चहक

खुशियां बिखेरूँ कण-कण में कि धरा में ही मिल जाए स्वर्ग की झलक

२०१४ अबकी बरस ऐसी तब्दीलियां ला कि दशकों तक गूंजे तुम्हारी धमक .


you don’t need to be perfect…you don’t need infinite wisdom…you don’t need endless

patience or humility…you don’t have to be a saint…you only have to want to live a life that’s

full & true …to rise up ,to greet your own unique destiny.

-paulo coelho

उषा की पहली किरण के दस्तक से तो खुल जाते हैं हर दरवाज़े

ये दुआ है कि हमें ज़िंदगी शिद्दत से जीना सीखा दे ये नया साल

दुआ यह भी कि सबके जीवन में ढेरों खुशियां लाये ये नया साल

” ईश्वर हम सब  को जीवन का हर लम्हा जीने के ज़ज्बे से भर दें .”

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