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२००७ के चुनाव में मिले ९६ पार्टी के सीट्स के मुकाबले २०१२ में २२४ सीट्स मिलना समाजवादी पार्टी के लिए वाकई अविस्मरणीय जीत है ३८ वर्षीय अखिलेश यादव की शांत,गंभीर छवि उ.प. की तस्वीर बदलने में एक अहम् भूमिका निभाएगी.अपने परिवार में “टीपू” के उपनाम से पुकारे जाने वाले अखिलेश में नेतृत्व की क्षमता अवश्य ही नाम को सार्थक करेगी;यह मेरी सकारात्मक सोच है. धोलपुर मिलिटरी स्कूल के प्रारम्भिक शिक्षा और सिडनी विश्वविद्यालय से environment इंजीनियरिंग की शिक्षा ने उन्हें क्रमशः अनुशाषण और संवेदनशीलता दोनों का ही पाठ पढ़ा दिया; इस आकलन का स्पष्ट प्रमाण उनकी ३ दिवसीय साइकिल यात्रा तथा क्रान्ति रथ यात्रा है
“जब आगाज़ ही इतना सशक्त है तो अंजाम की तस्वीर खुद-ब-खुद सामने आ जाती है.वैसे भी युवा चेहरों ने राजनीति में सकारात्मक परिवर्तन लाने में कोई कसर नहीं छोडी है.राजीव गांधीजी की नयी तकनीक की क्रान्ति ,नवीन जिंदल द्वारा राष्ट्रीय ध्वज से सम्बंधित परिवर्तन ऐसे कई उदाहरण हमें यह उम्मीद दिलाते हैं कि युवा शक्ति से लबरेज अखिलेश यादव भी अपने सुदृढ़ नेतृत्व से अवश्य ही अपनी यात्रा जारी रखते हुए मंजिल तक पहुंचेंगे.उन्होंने अर्जुन की तरह मछली की आँख को ही निशाना बनाया है .यह मैं नहीं उनका वक्तव्य कहता है”हम उ.प. के विकास पर ध्यान दे रहे हैं” यानी उनका लक्ष्य बिलकुल स्पष्ट है.
ये कहावत भी ध्यान में रखना होगा कि “हथेली पर सरसों नहीं जमा करती “या rome was not built in a day”धैर्य से परिवर्तन की प्रतीक्षा करिए.
और फिर अगर हम इतिहास उठा कर देखे तो समझ में आ जाता ही कि नेतृत्व अच्छे और बुरे दोनों सदियों से रहे हैं क्या हुमायूं के शाशन के दौरान किसी ने ख्वाब में भी अकबर के नेतृत्व को सोचा था?इतना ही कहना चाहती हूँ
घनी अंधेरी गुफा के पीछे,हल्की सी रोशनी अबदीख गयी है.
ठोकर खाकर भोली जनता,सबक नया कुछ सीख गयी है.
इस चुनाव ने बरसों बाद, एक अच्छाज़रूर है काम किया……………
बदलने राज्य की तस्वीर, एक को तो ढंग से है जीता दिया.
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